" તમે "
સુરજ ના પ્રથમ કિરણ ની સવાર છો તમે
એકલતાની ક્ષણોની એક યાદ છો તમે
આકાશ જેવી છે સ્વચ્છ લાગણી અમારી
ડુબતા સુરજની મધુર સાંજ છો તમે
મહેંકે છે જીવન તમારાથકી અમારુ
આંખોની પલક માં બંધ સંસાર છો તમે
કોઇ 'દિ'દૂર તો કોઇ 'દિ" નજદિક
અમારા જીવનની એ મજબુરી છો તમે
તમારા કપાળની રેખા નિહાળેછે મને
જીવનના સફરમાં એક માત્ર સાથીછો તમે.......
" आप "
सूरज की प्रथम किरण की स्वर हो आप
एकलता की पल की एक याद हो आप
आकाश जैसी शुद्ध लागनी आपकी
डूबता सूर्य की मधुर सांज हो आप
महेकता है जीवन आपकी थकी हमारा
आँखों की पलकों में बांध संसार हो आप
किसी दिन दूर तो किसी दिन समीप
मेरे जीवन की एक मज़बूरी हो आप
आप के भाल की रखे निहालती है मुजे
जीवन के सफ़र में एक ही साथी हो मेरे......
12 comments:
BAHUJ SUBDAR RACHANA CHHE RADHIIIIIIIIIIADHI
MANE NATHI KHABAR K AA BADHI RACHANO TU BANAAVE CHHE K COPY PASTED HOY CHHE..
BUT JE PAN HOY CHOICE BAHUJ SARAS CHHE N WORDINGS AWESOME CHHE...
BAHUJ SARAS PRAYATNA DEAR..
ALL THE BEST FRM BOTTOM OF MY HEART..
URS LITTLE .... KETULLLLLLLLLL
अच्छा प्रयास ,बधाई और स्वागत .
अच्छी रचना है सुन्दर प्रयास के लिऐ बधाई।
स्वागत है।
महर्षि दयानन्द की धरती से हैं आप, हिन्दी प्रेम तो रहेगा ही।
शुभकामनाएँ।
word verification रखा हो तो हटा दें। लगता है कि शुभेच्छा का भी प्रमाण माँगा जा रहा है।
bahu saras.........
maza aavi gayi
bas theek-thaak hai....is rachnaa ke liye to yahi bas kah paaungaa....!!
nice feeling
narayan narayan
बुद्धम शरणं गच्छामि................
दो पल सुख से सोना चाहे पर नींद नही पल को आए
जी मचले हैं बेचैनी से ,रूह ना जाने क्यों अकुलाए
ज्वाला सी जलती हैं तन मे ,उम्मीद हो रही हंगामी .....
बुद्धम शरणं गच्छामि................
मन कहता हैं सब छोड़ दूँ मैं पर कैसे छुटेगा यह
लालच रोज़ बदता जाता हैं ,लगती दरिया सी तपती रेत
एक पूरी होती एक अभिलाषा ,खुद पैदा हो जाती आगामी......
बुद्धम शरणं गच्छामि................
नयनो मे शूल से चुभते हैं, सपने जो अब तक कुवारें हैं
कण से छोटा हैं ये जीवन और कर थामे सागर हमारे हैं
पागल सी घूमती रहती इस चाहत मे जिन्दगी बे-नामी........
बुद्धम शरणं गच्छामि................
ईश्वर हर लो मन से सारी, मोह माया जैसी बीमारी
लालच को दे दो एक कफ़न ,ईर्ष्या को बेबा की साडी
मैं चाहूँ बस मानव बनना ,मांगू कंठी हरि नामी ....
बुद्धम शरणं गच्छामि................
@कवि दीपक शर्मा
http://www.kavideepaksharma.co.in
http://kavideepaksharma.blogspot.com
http://kavyadhara-team.blogspot.com
Sneh aur shubh kamnayon sahit swagat hai!
Seedhee,saral bhasha hai aapki...! Bada achha laga padhke!
shama
आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . आशा है आप अपने विचारो से हिंदी जगत को बहुत आगे ले जायंगे
लिखते रहिये
चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है
गार्गी
bahut hi achhee rachna...badhaai....
Post a Comment